यहाँ हम आज बात कर रहे हैं कि विभिन्न भाषाओं का ज्ञान होना किस तरह से मस्तिष्क के विकास और क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
डॉक्टरों की माने तो केवल एक भाषा का ज्ञान होना एक तरह से सही नहीं है क्योंकि मानसिक विकास की मजबूती के लिए अब विभिन्न भाषाओं को जानना भी आवश्यक हो गया है।
क्या कहते है स्वास्थ्य विशेषज्ञः
इस तथ्य पर विभिन्न प्रकार के चिकित्सा संस्थानों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शोध किए और माना कि विभिन्न प्रकार की भाषाओं के ज्ञान का होना मानसिक विकास में कैसे मदद करता है, आइए जानते हैं-
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(AIIMS) के डॉक्टर्स मानते है कि इंटरनेट, PUBG, इंटरनेट गेमिंग और अन्य सोशल मीडिया ऐप्स के प्रयोग पर सरकार के द्वारा प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए क्योंकि इससे बच्चों की मानसिक क्षमता पर असर पड़ता है, जिससे बच्चों का उचित तौर पर विकास नहीं हो पाता।
इस संबंध में स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो यदि किसी व्यक्ति को एक से अधिक भाषाओं का या यों कहे की बोलियों का ज्ञान हो तो उसका दिमाग के विभिन्न भाग अन्य व्यक्ति के मुकाबले ज्यादा एकाग्रता और तेजी के साथ विकसित होने लगते है।
वहीं AIIMS की न्यूरोलॉजी प्रोफेसर डॉ. मंजरी त्रिपाठी बताती है कि केंद्र सरकार द्वारा हिन्दी को मुख्य राष्ट्रीय भाषा के रुप में अपनाने पर जोर देना एक बेहतर कदम है क्योंकि जो लोग इस भाषा को नहीं जानते वे सीखेंगे जिससे उनके संज्ञानात्मक क्षमता में विकास होगा।
अंतर्राष्ट्रीय तौर पर किए गए शोध के अध्ययनों में पाया कि एक भाषा का ज्ञान होने के अलावा दूसरी भाषा को सीखने से व्यक्ति के मस्तिष्क की सोचने-समझने की क्षमता और मानसिक विकास में फायदा मिला है।
वही मस्तिष्क से जुड़ी समस्याएं अल्जाइमर रोग, याददाश्त की कमजोरी से पीड़ित रोगियों की सेहत में नई भाषा सीखने से सुधार हुआ है।
क्यों जानना आवश्यक है, विभिन्न भाषाओं का ज्ञानः
जैसे कि हमने अब तक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से जाना कि, किस तरह से एक भाषा के अलावा अन्य भाषाओं का ज्ञान हमारी मानसिक क्षमता को विकसित करने में लाभदायक है, इसी बात को आगे बढ़ाते हुए हम जानेंगे कि, किन स्तरों और किन क्षेत्रों में भाषा का ज्ञान मदद करता है-
किसी क्षेत्र में हम जब नौकरी के लिए आवेदन करते है तो वहां हमे एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना एक बोनस अंक के तौर पर मदद करता है वहीं विभिन्न प्रकार के नौकरी के अवसर भी पैदा होते हैं।
वहीं भाषाओं को सीखने से आपका दिमाग सक्रिय होकर काम करने लगता है जिससे IQ लेवल बढ़ता है।
मान लीजिए आप किसी नई जगह पर घूमने जाते है और आपको वहां पर उस जगह को जानने के लिए टूरिस्ट गाइड की जरुरत पड़ती है क्योकि एक स्तर पर आपको भाषा की बाधा तो होती है वही नई जगह पर आपको कोई ठग न ले इसका भी डर होता है, जिसके लिए आपको बहुभाषी या कुछ भाषाओं का ज्ञान होना जरूरी होता है।
नए लोगों या दोस्तों से जब हम मिलते है तो हमें उनकी भाषाएं सीखने और जानने की इच्छा होती है और जब हम सीख लेते हैं तो इससे हमारे व्यक्तिगत विकास में फायदा मिलता है और हम क्रॉस-कल्चरल बनते हैं।
जैसे कि आपने इस लेख से जाना कि व्यक्ति को अपने चँहुमुखी विकास के विभिन्न भाषाओं का ज्ञान होना कितना जरूरी है वही खास कर माता-पिता अपने बच्चें को इंटरनेट,गेमिंग से दूर रख विभिन्न प्रकार की भाषाओं को जानने और शिक्षा की ओर रूचि जगाएं जिससे बच्चे का बचपन से ही मानसिक और व्यक्तिगत विकास बेहतर बनेगा।