सिर्फ मोबाइल ही नहीं दूसरी डिवाइस भी हैं सेहत के लिए खतरनाक

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शोधकर्ताओं का मानना है कि सिर्फ मोबाइल ही नहीं बल्कि स्मार्टफोन की ही तरह के दूसरे डिवाइस भी इसी तरह का असर दे रहे हैं. ये मानव स्वरूप को बदल रहे हैं. शोधकर्ताओं का दावा है कि टैक्नोलौजी के मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की यह अपनी तरह की पहली रिसर्च है.

बच्चे भी हो रहे हैं शिकार

साल 2018 में दूसरे पेपर में 4 टीनएजर्स की केस स्टडी को सामने रखा गया था जिन के सिर पर सींग उग आए थे. शोधकर्ताओं ने दावा किया कि इन बच्चों के सिर पर जो सींग आए हैं वे गरदन के दबाव के कारण हैं. उन्हें शोधकर्ताओं ने आनुवंशिक मानने से इनकार कर दिया.

इससे पहले प्रकाशित की गई शोध रिपोर्ट में 18 साल से ले कर 86 साल तक के 1,200 लोगों के एक्सरे को शामिल किया गया जिस में शोधकर्ताओं ने पाया कि 33 फीसदी लोगों में सींग जैसी हड्डी विकसित हो गई थी.

अगर आप भी मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इसे समय और जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करें और इन बातों का ध्यान रखें…

रात को सोते वक्त मोबाइल को खुद से दूर रखें.
जहां तक हो सके बच्चों को मोबाइल से दूर रखें, क्योंकि बच्चों में इस के दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं.
बच्चे के शारीरिक विकास में रुकावट, मोटापा, याद्दाश्त में कमी, मानसिक विकार, चिड़चिड़ापन, आक्रामक होना, आंखों पर बुरा असर, यहां तक कि कैंसर आदि तमाम लक्षण बच्चों में देखने को मिल रहे हैं.
सिर्फ बच्चे ही नहीं, बड़े भी मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से कई बीमारियों से घिर रहे हैं. कई शोध कहते हैं कि फोन से निकलने वाला रेडिएशन शरीर पर नकारात्मक असर डालता है.
2013 का शोध कहता है कि फोन के प्रयोग से रक्तचाप बढ़ जाता है. ऐसे में दिल को कई बीमारियां घेर लेती हैं.

फोन की एल्कोट्रोमैग्रेट किरणें कई खतरों को बुलावा देती हैं.
बहुत देर तक फोन पर बात करना खतरनाक हो सकता है. यह सुनने की क्षमता पर सीधे असर डालता है.
अगर आप अपने फोन को खुद से चिपका कर सोते हैं तो नपुंसकता का भी खतरा बन सकता है.
शोधकर्ताओं ने चेताया है कि पैंट की जेब में स्मार्टफोन रखने से पुरुषों में न सिर्फ शुक्राणुओं की कमी होती है, बल्कि अंडाणुओं को निषेचित करने की उन की क्षमता भी कमजोर पड़ने लगती है.