मोटापा अर्थात् वो वसा fats जो त्वचा के नीचे लगातार जमा होती रहती है। अगर हम यह कहें कि अधिक खाना खाने से मोटापा आता है तो शायद ये ठीक नहीं होगा, क्योंकि मोटापा किसी एक कारण से नही बल्कि कई कारणों से होता है। किसी भी समस्या के निवारण के लिए कारण तलाशना पड़ता है उसी के आधार पर ही समस्या को दूर किया जा सकता है। मोटापा होने के कुछ ये कारण भी हो सकते हैं।
भोजन और शारीरिक श्रम में असमानता।
भूख से अधिक भोजन करना।
खराब कार्बोहाइड़्रैट्स खाना।
वक्त, बेवक्त खाते रहना। (भूख ना होने पर भी खाते रहना)
ज्यादा आराम करते रहना या आलसी होना।
चर्बी वाली वस्तुएं खाना अर्थात वसा युक्त भोजन खाना।
व्यायाम की कमी।
पाचन प्रणाली की समस्या।
योन से सम्बन्धित समस्या।
तनावग्रस्त रहना।
अनुवांशिकता।
व्यापार सम्बन्धी समस्याएं।
अनुकूल वातावरण ना होना।
आजकल कुछ ऐसी दिनचर्या हो गई है कि ज्यादातर काम बैठने के हो गए है या सिर्फ खड़े होकर काम करने पड़ते हैं इससे शरीर की कोई भी exercise नहीं हो पाती। इस कारण वजन बढ़ने लगता है और इसे कम करने के लिए प्रतिदिन 30 मिनट का व्यायाम जरूर करना चाहिए। साथ ही साथ कुछ साधारण उपाय किए जा सकते हैं मोटापा कम करने के लिये।
आलस छोड कर नियम पूर्वक व्यायाम करना जैसे- साईकिल चलाना, तैराकी करना, सैर करना, जोगिंग करना।
योगा करना।
वसा युक्त भोजन से दूर रहना।
कैलरीज पर आधारित भोजन करना।
व्रत या उपवास करना।
भोजन धीरे-धीरे एवं चबा-चबा कर खाना।
प्रतिदिन सैर करना।
शरीर की मालिश करना।
धूप लेना एवं भाप लेना। ( Steam Bath, Sauna Bath )
नाश्ता अवश्य करना, रात्रि का भोजन हल्का करना।
जितनी उर्जा खाने से लें, उतनी उर्जा व्यायाम से व सैर से खर्च कर देना।
इन सब के साथ हमे अपने खाने पर खास ध्यान रखना चाहिए। कार्बोहाइड़्रैट्स की बात करें तो दो तरह के – अच्छे एवं खराब कार्बोहाइड़्रैट्स। अच्छे कार्बोहाइड़्रैट्स ताजे फल, हरी सब्जियों, साबुत अनाज, चोकर वाले अनाज और ब्राउन राईज़ में पाए जाते हैं। जो शरीर के मैटाबॉलिजम को प्राकृतिक ढ़ंग से सुधारते हैं, फाईबर और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और जिनसे मोटापा भी नहीं होने पाता। इनमें मौजूद शर्करा एवं फाईबर अणुओं की रासायनिक सरंचना जटिल होती है जिससे इन्हें पचाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है और इसलिए हमे काफी लम्बे समय के लिए उर्जा मिलती है।
इसके विपरीत खराब कार्बोहाइड़्रैट्स जो चॉकलेट, आईसक्रीम, मिठाईयां, कोल्ड़ ड़्रिंक्स, केक, बिस्कुट, ब्रैड़, आलु आदि में होते हैं जिनमें शर्करा अणु बेहद छोटे और सरल सरंचना वाले होते हैं और शरीर इन्हें जल्दी से पचा कर उर्जा प्राप्त कर लेता है। ऐसी उर्जा ग्लाईकोजन के रूप में कोशिकाओं में जमा रहती है। अगर इसका उपयोग ना किया जाय तो ये चर्बी का रूप ले लेती है जिससे मोटापा बढ़ता है। इसलिए अच्छे कार्बोहाइड़्रेट वाले भोज्य पदार्थ ही खाने चाहिए।
खाना खाते समय पूरा ध्यान खाने पर ही होना चाहिए ना कि दूसरा काम करते हुए खाना खाएं।
खाना हमेशा छोटी प्लेट में ही खाएं ताकि आप उतना खाना खाएं जितना जरूरत हो।
खाना हमेशा धीरे-धीरे, चबा-चबा कर खाएं।
भूख लगने पर ही खाना खाएं, मन पर काबु होना चाहिए।
सुबह का नाश्ता जरूर करना चाहिए लेकिन रात का भोजन हल्का होना चाहिए।
फल और सब्जियां अधिक खानी चाहिए ताकि फाईबर मिलता रहे।
खाना खाने से 30 मिनट पहले और 30 मिनट बाद में पानी पीना चाहिए। पानी और ताजे फलों का रस पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।
यदि हम इस तरह की कुछ बातों को ध्यान में रखें और नियमित रूप से अमल करें तो मोटापे को रोका जा सकता है। कुछ भी करने से पहले अपने डाक्टर से जरूर सलाह करें।
कारण में ही निवारण है अर्थात मोटापे का कारण जान लो उस कारण को ही समाप्त कर लो तो कोई समस्या ही नहीं रहेगी।