अमेरिका और यूरोपियन यूनियन से बढ़ रहे तनाव के बीच रूस अब ब्रिटेन के खिलाफ भी जवाबी आक्रामक मुद्रा में सामने आ गया है। उसने ये बात सार्वजनिक रूप से कह दी है कि ब्रिटेन के साथ उसका राजनयिक संबंध ‘लगभग मृत’ हो गया है। इससे अंतरराष्ट्रीय जगत में एक और तनाव खड़ा हो जाने की संभावना पैदा हो गई है। सबसे बड़ा खतरा परमाणु हथियारों की होड़ फिर से चालू हो जाने का है।
ताजा विवाद ब्रिटेन के उस दस्तावेज से खड़ा हुआ, जिसमें रूस को ‘गंभीर प्रत्यक्ष खतरा’ बताया गया है। जब ब्रिटेन ने ये दस्तावेज जारी किया, तो कूटनीतिक विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि रूस शायद इस पर संयमित प्रतिक्रिया दे और बातचीत से ब्रिटेन की गलतफहमियां दूर करने की इच्छा जताए। लेकिन लंदन स्थित रूसी राजदूत आंद्रेई केलिन ने रविवार को जवाबी हमला बोल दिया। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन का अपने परमाणु हथियारों में बढ़ोतरी करने का फैसला अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन है।
रूस और ब्रिटेन के बीच बढ़ रहे इस तनाव से अमेरिका और उसके नेतृत्व वाले उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के लिए भी नई चुनौतियां खड़ी हुई हैँ। अमेरिका ने पिछले महीने के आरंभ में रूस के साथ स्टार्ट संधि को आगे बढ़ाने का फैसला किया था। ये संधि परमाणु हथियारों की होड़ पर रोक लगाने के लिए हुई थी। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संधि से हटने का फैसला किया था।
लेकिन जो बाइडन ने राष्ट्रपति बनने के बाद वह फैसला पलट दिया। नाटो में शामिल तमाम देशों ने भी स्टार्ट संधि को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई थी। पिछले महीने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने एक बयान में कहा था कि अस्त्र नियंत्रण और परमाणु अप्रसार के क्षेत्र में अमेरिकी नेतृत्व बहाल कर राष्ट्रपति बाइडन अमेरिकी जनता को परमाणु खतरे से सुरक्षित रखना चाहते हैं। लेकिन ब्रिटेन के ताजा फैसले और रूस की उस पर आक्रामक प्रतिक्रिया से परमाणु अप्रसार के लक्ष्य के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है।
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