वेनेज़ुएला में लाखों की संख्या में लोग देश छोड़कर जा रहे हैं, महंगाई हज़ारों गुना बढ़ गई है, अर्थव्यवस्था डूबने की कगार पर है और लोगों के पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है.
वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस माडुरो ने इन स्थितियों से निपटने के लिए कुछ क़दम भी उठाए हैं लेकिन उनका कोई ख़ास फ़ायदा देखने को नहीं मिला है.
महामंदी के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था और इन भयावह हालातों के लिए कई लोग राष्ट्रपति निकोलस माडुरो और उनकी सरकार को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं.
लेकिन, देश में ये हालात बने कैसे. मंदी से निकलने की कोशिशों के बावजूद भी सुधार क्यों नहीं हो रहा है?
वेनेज़ुएला के लोगों के लिए इस वक़्त सबसे बड़ी समस्या महंगाई है बल्कि वहां इसे महामहंगाई कहा जा रहा है.
विपक्ष के नियंत्रण वाली वेनेज़ुएला की राष्ट्रीय असेंबली के अनुसार औसतन हर 26 दिन बाद क़ीमत दोगुनी हो रही है. जुलाई में सालाना महंगाई दर 83,000% तक पहुंच गई है.
इसके चलते वेनेज़ुएला के लोगों के लिए खाने-पीने का सामना और कुछ मूलभूत ज़रूरत की चीज़ें ख़रीदना भी मुश्किल हो गया है.