अक्सर जब छोटी सी गुड़िया बड़ी होकर बाल्यावस्था से किशोरावस्था में प्रवेश करती है तब उसमें कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं। इन शारीरिक परिवर्तनों के कारण वो काफ़ी तनाव में रहती है और किसी से अपनी बात कहने में झिझकती भी है। इन्हीं परिवर्तनों में से एक परिवर्तन मासिक धर्म, मासिक चक्र, माहवारी या पीरियड्स का आना है। हमारे समाज में मासिक धर्म से जुड़े अंधविश्वास माने जाते हैं। आइए आज हम पीरियड और अन्धविश्वास पर चर्चा करते हैं।
जब महावारी या पीरियड्स आना शुरू होते हैं तो सबसे पहले माँ यही कहती है कि बिटिया इन दिनों मन्दिर नहीं जाते हैं। पूजा नहीं करते हैं। किचन में नहीं जाते हैं। अपनों से बड़ों को खाना बना कर नहीं देते हैं। अचार को नहीं छूते हैं। ज़्यादा खेलते कूदते नहीं हैं। यहाँ तक कि घर का कोई सदस्य तुम्हें छू नहीं सकता और न ही तुम किसी सदस्य को छू सकती हो। सोने के लिए अलग स्थान व अलग बिस्तर तक देती है, जैसे यह कोई अभिशाप या छुआ छूत की बीमारी हो।