जीवन साथी चुनते समय इन बातों का ध्यान दें

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शादी का रिश्ता प्यार की डोर से बंधा होता है। जिसके एक तरफ़ पसंद और दूसरी तरफ़ नापसंद की मुहर लटकी रहती है। जीवन साथी को लेकर हर व्यक्ति की सोच अलग अलग होती है। लेकिन जीवन साथी का चुनाव करते समय दिल व दिमाग़ दोनों का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि कई बार भावना में आकर या पेरेंट्स के दबाव में आकर वो ग़लत फ़ैसला ले लेते हैं और जब उनकी अपेक्षाएं पूरी नहीं होती हैं तो रिश्ते टूट जाते हैं। वर्तमान समय में तलाक़ के बढ़ते मामले इन्हीं ग़लतियों का नतीजा हैं। इसलिए जल्दबाज़ी के बजाय बहुत सोच समझकर और परखकर अपने जीवन साथी का चुनाव करें ताकि आप दोनों का जीवन ख़ुशहाली के साथ बीत सके।

सही जीवन साथी का चुनाव
तो आइए जानते हैं कि जीवन साथी का चुनाव करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखें –

# लॉ ऑफ़ रिलेशनशिप 1 – कमिटमेंट
शादी जीवन का एक ज़रूरी हिस्सा होता है, लेकिन जीवन के इस अहम फ़ैसले में जीवनसाथी का चुनाव करते समय में प्रैक्टिकल रहें क्योंकि जीवन के इतने ख़ास फ़ैसले भावुक होकर नहींं लिए जा सकते हैं। जीवन साथी का चुनाव करते समय यह बात सबसे अहम होती है कि सामने वाला रिश्तों को लेकर कितना कमिटेड है और यह भी देखना ज़रूरी होता है कि कमिटमेंट के साथ ही सामने वाले के अंदर वैल्यू सिस्टम है या नहीं। अगर रिश्तों में आपसी समझ होगी तो रिश्ते अच्छे से चल पायेंगे।

# लॉ ऑफ़ रिलेशनशिप 2 – धैर्य, सामंजस्य और सहनशीलता
पेशेंस (धैर्य), एडजस्टमेंट (सामंजस्य) और टॉलरेंस (सहनशीलता) रिश्तों में ये तीन मैजिकल शब्दों का होना बहुत ज़रूरी है। लेकिन आज न तो लोगों में पेशेंस है, न एडजस्टमेंट है और न ही टॉलरेंस। जिस करण से वर्तमान समय में सबसे ज़्यादा शादियां टूट रही हैं। जबकि शादीशुदा ज़िंदगी में कई बार विपरित परिस्थितियां आती हैं, ऐसे में ये बेहद ज़रूरी है कि ये तीनों चीज़ें आपके भावी जीवन साथी में हो और आपके अंदर भी हो। ताकि किसी भी विपरीत परिस्थितियों में फंसने के बजाय उसमें से आप दोनों निकल जाएँ।

# लॉ ऑफ़ रिलेशनशिप 3 – समस्याओं का समाधान का कौशल
ज़िंदगी में समस्याएं लगी रहती हैं, ऐसे में उन समस्याओं के बोझ तले रिश्तों को ख़त्म करने से अच्छा है कि उन समस्याओं से निपटा जाए। शादीशुदा ज़िंदगी तभी अच्छी हो सकती है, जब आपके जीवनसाथी के अंदर समस्याओं का समाधान करने का कौशल हो जिससे वो आई समस्या का समाधान आसानी से कर सके।

# लॉ ऑफ़ रिलेशनशिप 4 – अपेक्षाएं पूरा करने का कौशल
शादीशुदा ज़िंदगी में तरह तरह के एक्सपेक्टेशंस (अपेक्षाएं) तो होती ही हैं लेकिन जब आपकी कोई अपेक्षा पूरी न हो, तो उसे भूल जाना ही बेहतर होता है। हर जगह अधिक अपेक्षाओं के बजाय परिस्थिति के अनुसार रहें। यूं तो आप शादीशुदा ज़िंदगी के अंदर में आप जितनी कम एक्सपेक्टेशन लेकर चलेंगी, ज़िंदगी उतनी ही सुकून से गुज़रेगी। जो चीज़ें आप अपने होने वाले भावी जीवनसाथी में खोज रही हैं, उन्हें दूसरों में खोजने के बजाय अपने अंदर भी विकसित करें, क्योंकि हो सकता है कोई आपके अंदर इन बातों को खोज रहा हो।

# लॉ ऑफ़ रिलेशनशिप 5 – सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच ज़िंदगी और शादीशुदा ज़िंदगी दोनों को बेहतर बना सकती है। आप अपने होने वाले जीवनसाथी में इस गुण को भी ज़रूर देखें क्योंकि इसकी कमी से शादीशुदा ज़िंदगी में आयी छोटी छोटी समस्याओं से लोग जल्दी ही तनाव ग्रस्त हो जाते हैं।

# लॉ ऑफ़ रिलेशनशिप 6 – प्यार, सम्मान और केयर
शादी का मतलब सिर्फ़ पाना ही नहीं है बल्कि अपने साथी को ज़िंदगी भर प्यार, सम्मान और देखभाल देने के लिए भी ख़ुद को तैयार करना भी है। अगर आप मन से इसके लिए तैयार नहीं है तो जीवन साथी कितना भी अच्छा क्यों न हो रिश्ता चल नहीं पाएगा।

# लॉ ऑफ़ रिलेशनशिप 7 – जो जैसा है वैसा स्वीकारें
अगर यह सोचकर आप किसी को चुन रहे हैं कि शादी के बाद मैं अपने जीवन साथी को बदल दूंगी तो यह सोच ग़लत है आपने अपने होने वाले साथी को जिस रूप में पसंद किया है, उसको उसी रूप में स्वीकार करें। तभी ज़िंदगी ख़ुशहाली से चलेगी। इसके बदले आप ख़ुद को बदलने की कोशिश करें। यह ज़्यादा आसान है।

# लॉ ऑफ़ रिलेशनशिप 8 – अच्छाई देखें
अगर आपके जीवन साथी में कुछ कमियां हैं, तो उसे उसकी अच्छाई और बुराई दोनों के साथ स्वीकार करें।

# लॉ ऑफ़ रिलेशनशिप 9 – नथिंग इज़ परफ़ेक्ट
याद रखें कि दुनिया में कोई भी परफ़ेक्ट नहीं होता है हर व्यक्ति में कुछ न कुछ ख़ामियां होती हैं, आप में भी होंगी। परंतु दोनों को एक दूसरे को अच्छाइयों और बुराइयों के साथ स्वीकार करना होता है। क्योंकि अगर आप परफ़ेक्ट के चक्कर में रहेंगी तो जीवन भर कुँवारी रह जाएंगी।

# लॉ ऑफ़ रिलेशनशिप 10 – जीवन को महत्व दें
कई बार रिश्ता तय होने के बाद लड़का या लड़की के परिवार वालों को यह लगता है कि ये रिश्ता सही नहीं है परंतु वे इस बात पर बात नहीं कर पाते क्योंकि अब तय हो चुकी है। अगर रिश्ता तोड़ेंगे तो बदनामी होगी। ऐसा न सोचे कि लोग क्या कहेंगे, उसके बजाय एक ग़लत लोगों से रिश्ता न जोड़ना सही विकल्प है। ज़िंदगी भर दुखी रहने के बजाय या तलाक लेने की तुलना में ये करना ज़्यादा आसान है।